North Korea: नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने आमने सामने बैठकर बातचीत के अमेरिकी प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. इतना ही नहीं, यो जोंग ने और ज्यादा सैटेलाइट प्रक्षेपण की कसम खाई है. गौरतलब है कि इस सप्ताह की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने उत्तर के उपग्रह प्रक्षेपण को ‘लापरवाह और गैरकानूनी’ कदम बताया था. ग्रीनफील्ड ने कहा था कि नोर्थ कोरिया का ये कदम उसके पड़ोसियों के लिए खतरा है.
एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, किम की बहन और वरिष्ठ अधिकारी किम यो जोंग ने गुरुवार को अमेरिकी प्रस्ताव को खारिज करते हुए और अधिक उपग्रह और अन्य हथियार लॉन्च करने की धमकी दी. किम यो जोंग ने कहा कि हमारा देश एक स्वतंत्र राज्य है और इसलिए हमारे देश के आंतरिक फैसले कभी भी बातचीत के लिए एजेंडा आइटम नहीं हो सकते. इसलिए, उत्तर कोरिया इस उद्देश्य के लिए कभी भी अमेरिका के साथ आमने-सामने नहीं बैठेगा .
मिसाइल परीक्षण करना हमारा अधिकार
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों ने उत्तर कोरिया को उपग्रह प्रक्षेपण और मिसाइल परीक्षण करने से प्रतिबंधित कर दिया है. जिसपर उत्तर कोरिया ने तर्क दिया है कि उसे अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य खतरों से निपटने के लिए जासूसी उपग्रहों को लॉन्च करने और बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण करने का संप्रभु अधिकार है.
किम की बहन ने अमेरिका से पूछा तीखा सवाल
किम यो जोंग ने कहा कि पिछले सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक अमेरिका और उसके अनुयायियों की मांग पर बुलाई गई थी. उन्होंने कहा कि थॉमस-ग्रीनफील्ड को पहले यह बताना चाहिए कि उत्तर कोरिया के उपग्रह प्रक्षेपण को अवैध बताने के बजाय अमेरिकी रणनीतिक संपत्तियां अक्सर दक्षिण कोरियाई बंदरगाहों पर क्यों दिखाई देती हैं? बताते चलें कि उत्तर कोरिया ने पिछले हफ्ते अपना पहला जासूसी सैन्य उपग्रह कक्षा में स्थापित कर दिया है, जो अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान के लिए खतरा माना जा रहा है.
परमाणु हथियारों पर किम का फोकस
मालूम हो कि साल 2018 में, किम जोंग उन और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उत्तर कोरिया के बढ़ते परमाणु शस्त्रागार के भविष्य पर कूटनीति शुरू की थी. लेकिन एक साल बाद 2019 में उत्तर कोरिया पर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंधों को लेकर तकरार के कारण उनकी कूटनीति टूट गई. किम जोंग उन ने तब से अपने परमाणु शस्त्रागार के विस्तार और आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है.
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