Prince Harry Cellphone Hacking: लंदन के हाई कोर्ट ने शुक्रवार (15 दिसंबर) को प्रिंस हैरी के फोन हैकिंग के आरोपों को लेकर मिरर ग्रुप न्यूजपेपर्स (एमजीएन) के प्रकाशकों के खिलाफ फैसला सुनाया. यूके हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस बात को माना कि प्रिंस हैरी का फोन-हैकिंग हुआ था. कोर्ट ने यह भी माना कि न्यूज पेपर के पब्लिशर ने गैरकानूनी तरीकों से उनके जीवन से जुड़ी जानकारियां हासिल की थीं.
मामले में न्यायाधीश ने ड्यूक ऑफ ससेक्स का फोन हैक करने वाले प्रकाशकों को उन्हें (हैरी को) लगभग एक करोड़ 48 लाख 60 हजार (£140,600) रुपये देने के लिए कहा. कोर्ट ने यह भी माना कि प्रिंस हैरी का फोन 2006 से 2011 तक मिरर ग्रुप न्यूजपेपर्स (एमजीएन) ने हैक किया था और गैरकानूनी तरीकों से उनके जीवन से जुड़ी जानकारियां हासिल की गई थीं.
गैरकानूनी तरीके से हासिल की गई जानकारी
जस्टिस फैनकोर्ट ने फैसला सुनाया कि प्रकाशकों ने प्रिंस हैरी के बारे में पब्लिश 15 कहानियों के लिए फोन हैकिंग और अन्य जानकारी हासिल करने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया था. कोर्ट में कुल 33 आर्टिकल पेश किए गए थे.न्यायाधीश ने माना कि इनमें से आधे से भी कम लेखों में गैरकानूनी जानकारी का जिक्र किया गया है.
कोर्ट में पेश होकर बनाया रिकॉर्ड
गौरतलब है कि ड्यूक ऑफ ससेक्स समेत तीन अन्य दावेदारों ने द डेली मिरर, द संडे मिरर और संडे पीपल प्रकाशित करने वाले ब्रिटिश अखबार समूह पर मुकदमा दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि प्रकाशक के पत्रकारों ने उनका फोन हैक कर लिया और लगभग 15 साल से अधिक समय से उनके जीवन के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए अन्य अवैध तरीकों का इस्तेमाल किया.
इस केस की वजह से प्रिंस हैरी 130 साल में ब्रिटिश शाही परिवार के पहले ऐसे सदस्य बने, जो कोर्ट में गवाही देने के लिए पेश हुए. बता दें कि प्रिंस हैरी ने समाचार पत्र पर अपने खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाया था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि समाचार पत्रों ने उन्हें ड्रग लेने वाले व्यक्ति के रूप में पेश किया.
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