CO2 Rising: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) ने एक नक्शा पेश किया है, जिसमें उसने दावा किया है कि दुनियाभर के ऊपर कार्बन डाईऑक्साइड के कातिल बादल मंडराते नजर आ रहे हैं. ये नक्शा बनाने के लिए नासा ने जनवरी से मार्च 2020 का डेटा इकट्ठा किया है. इन नक्शों के माध्यम से जूम करके देखा जा सकता है कि बिजली के प्लांटों, आग और शहरों में कितना कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन बढ़ गया है, जो महाद्वीपों और महासागरों में तेजी से फैल रहा है.
इस बीच नासा के गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर में जलवायु वैज्ञानिक लेस्ली ओट ने कहा, “नीति निर्माताओं और वैज्ञानिकों के तौर पर, हम ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि कार्बन कहां से आता है और यह ग्रह को कैसे प्रभावित करता है. आप यहां देख सकते हैं कि कैसे सब कुछ इन अलग-अलग मौसम पैटर्न से जुड़ा हुआ है.”
जंगल की कटाई से तेजी से फैल रहा CO2
जलवायु वैज्ञानिक लेस्ली ओट ने आगे बताया कि चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण एशिया में, ज्यादातर उत्सर्जन बिजली के पावर प्लांटों, औद्योगिक सुविधाओं और कारों और ट्रकों से हुआ है. अगर बात करें अफ्रीका और साउथ अमेरिका में तो ज्यादातर कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन जंगल की आग से फैल रहा है. इसकी वजह जमीन का प्रबंधन है. नियंत्रित कृषि के तरीके और जंगल का कटाव है. इसके अलावा यहां पर तेल और कोयले के जलने से भी कार्बन डाईऑक्साइड निकल रहा है.
Watch carbon dioxide transfer by means of Earth’s environment.
With this excessive decision mannequin, scientists can see CO2 rising from sources like energy crops, fires, and cities and watch how that carbon dioxide spreads through wind patterns and atmospheric circulation. pic.twitter.com/v6TQCWOa5k
— NASA Local weather (@NASAClimate) July 24, 2024
जितना ज्यादा निकलेगा CO2 उतनी तेजी से बदलेगा मौसम
हालांकि, ये नक्शा नासा के वैज्ञानिक विज़ुअलाइज़ेशन स्टूडियो का इस्तेमाल किया है. इसके लिए वैज्ञानिकों ने गोडार्ड अर्थ ऑब्जर्विंग सिस्टम (GEOS) की मदद ली थी. इसका रिज़ॉल्यूशन एक सामान्य मौसम मॉडल से 100 गुना ज्यादा होता है. ऐसे में जलवायु वैज्ञानिक लेस्ली ओट और अन्य जलवायु वैज्ञानिक यह जानना चाहते थे कि क्या ज्यादा कार्बन डाईऑक्साइड निकलेगा तो धरती का मौसम बदलेगा?
हर साल तेजी से बढ़ रही है गर्मी, वजह है CO2
इस दौरान नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि साल 2023 दुनिया का सबसे गर्म साल रहा था. मगर, अब तो ये साल भी गर्म निकल रहा है. ऐसे में कई जगहों पर इस गर्मी का मुख्य कारण कार्बन डाईऑक्साइड का ज्यादा उत्सर्जन होना है. औद्योगिक युग की शुरुआत में 1750 में लगभग 278 भाग प्रति मिलियन से बढ़कर मई 2024 में 427 भाग प्रति मिलियन हो गई है.
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